कलम से _ _ _ _
पता तो बता दो
छिप गए हो न जाने कहाँ,
भेजने थे वह खत
जो तुमने कभी हमें लिखे थे।
भूले गए हो
जब से गए हो मिले ही नहीं हो,
कोशिश करते
तो बिछडते न तुमसे।
किस्मत के खेल हैं
ऐसे निराले,
जो भी है जैसा भी है
करते हैं कुबूल दिल से हमारे।
पता तो बता दो
छिप गए हो न जाने कहाँ,
भेजने थे वह खत
जो तुमने कभी हमें लिखे थे।
भूले गए हो
जब से गए हो मिले ही नहीं हो,
कोशिश करते
तो बिछडते न तुमसे।
किस्मत के खेल हैं
ऐसे निराले,
जो भी है जैसा भी है
करते हैं कुबूल दिल से हमारे।
//surendrapal singh//
07192014
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