Tuesday, July 29, 2014


कलम से _ _ _ _

चल मन चल आज जैन साहब के घर,
मिल बैठेगें सुदंर सुदंर सी बात करेगें
उनके दिल क्या है
हमारे दिल क्या है
बैठेगें जानेंगे।

जैन साहब आप हमेशा
उल्टे पावं क्यों चलते हैं,
भौंचके रह गये हमारी सुन कर बात
समझ न आई क्या गये आप
पूछा उनने हमसे?

करते हैं स्पष्ट हम अपनी बात,
हमने यह नोटिस किया है
आप हमेशा पार्क में
ऐन्टीक्लोकवाइज क्यों चलते हो?

कुछ आदत सी ही है
और कोई बात नहीं है।
सुन इतनी भडक गईं
जो चुप सी बैठी थीं
श्रीमती जैन यह बोल रहीं थी,
जैन साहब हैं ऊत खोपडी के
काम करें सब इस जग उल्टी खोपडी वाले
मैने तो इनको झेला है
दूसरा न कोई इनको झेल सकेगा
पर यह भी सच है
अब तक न यह बदले
आगे क्या बदलेंगे
इनकी तो ऐसे ही कटी है ये ऐसे ही रहेंगे।

दोस्तों, Old habits die hard. At old age people are not amenable to change.


//surendrapal singh//

07 30 2014

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