कलम से _ _ _ _
हम भी बच्चे थे कभी
अब हो जाऐ बडे तो क्या
हम भी बच्चे थे कभी
अब छोटे बन देखें क्या।
छुक छुक कर चलाएं गाडी
मुन्नू लल्लू रहें अगाडी
दद्दू बब्बू बन रहे अनाडी
चले न ऐसे घोडा गाडी।
हम भी बच्चे थे कभी
अब छोटे बन देखें क्या।
घल चलो एक परी है आई
मन बहुत वो मुझे है भाई
.ड्रेस उसने सुदंर बनबाई
खीर पूडी है उसने खाई।
हम भी बच्चे थे कभी
अब छोटे बन देखें क्या।
//surendrapal singh//
07212014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
हम भी बच्चे थे कभी
अब हो जाऐ बडे तो क्या
हम भी बच्चे थे कभी
अब छोटे बन देखें क्या।
छुक छुक कर चलाएं गाडी
मुन्नू लल्लू रहें अगाडी
दद्दू बब्बू बन रहे अनाडी
चले न ऐसे घोडा गाडी।
हम भी बच्चे थे कभी
अब छोटे बन देखें क्या।
घल चलो एक परी है आई
मन बहुत वो मुझे है भाई
.ड्रेस उसने सुदंर बनबाई
खीर पूडी है उसने खाई।
हम भी बच्चे थे कभी
अब छोटे बन देखें क्या।
//surendrapal singh//
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