कलम से _ _ _ _
जीवन परिभाषित न करो,
प्रयास ऐसा न कोई करो,
अनंत को न बाँध पाओगे,
क्षितिज पार सदा पाओगे।
पक्षी बन उड जाऊँगा,
दूर बहुत चला जाऊँगा,
झूठे मन न बहलाऊँगा,
कदापि पास न आऊँगा ।
चलो आज कुछ नया करें,
मिलजुल कर साथ चलें,
आगे बढ़ने की बात करें,
आयाम नये निर्माण करें।
अधिक न करें इतना तो करें,
दूर तक मिल कर साथ चलें,
जिऐ या मरे जो हो साथ करें,
हाथ एकदूजे हाथ ले साथ चलें ।
प्रयास ऐसा न कोई करो,
अनंत को न बाँध पाओगे,
क्षितिज पार सदा पाओगे।
पक्षी बन उड जाऊँगा,
दूर बहुत चला जाऊँगा,
झूठे मन न बहलाऊँगा,
कदापि पास न आऊँगा ।
चलो आज कुछ नया करें,
मिलजुल कर साथ चलें,
आगे बढ़ने की बात करें,
आयाम नये निर्माण करें।
अधिक न करें इतना तो करें,
दूर तक मिल कर साथ चलें,
जिऐ या मरे जो हो साथ करें,
हाथ एकदूजे हाथ ले साथ चलें ।
//surendrapalsingh//
07242014
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