Wednesday, July 30, 2014

लगा दे आग दुबारा

कलमसे____


लगा दे आग दुबारा
ऐसी कोई चिन्गारी नहीं है
अतीत के पन्नों में
कोई ऐसी बात छिपी ही नहीं है।

नये सिरे से शुरू करो
तो कोई बात बने
बुझी आग में
शोलों की तलाश बेमानी लगे है।

आओ मिल कर जलायें
चिराग एक हम
हो सके इस जहाँ के
मिटा सकें सभी गम।

अंधेरे दूर हो जांय
हो जाए ऊजाला
जग जंहा सुदंर लगे
बन जाय निराला।

विश्वास पर टिकी है
किसी की आस
टूट न जाए,
यही हो हमारा प्रयास।

//surendrapal singh//
07 30 2014

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