Sunday, July 27, 2014

एक वो भी जमाना था.....

कलम से _ _ _ _

एक वो भी जमाना था.....
आपने अक्सर सुना होगा अपने बुजुर्गों से,
आज की पीढ़ी बडा ताज्जुब करती है
इस कथनी पर,
वह यह भूल जाती है कि लोग आज के लिए भी तो कहते है कि,
इक ये भी जमाना है।

दोस्तों, फर्क है यह दो और दो से अधिक पीढ़ियों का।

मुझे याद पड़ता है,

मेरे दादी अम्मा ने कभी यह मुझसे कहा था,
तेरे बाबूजी को तेरी माँ ने प्रपोज किया था।
इक वो भी जमाना था....

(1939-40)

मैंने अपनी दादी अम्मा से पूछा,

ये सब कैसे हुआ था,
हँस के बोली कि सुन हुआ था कुछ ऐसे,
तेरी माँ ने देखा था किसी
अपने दोस्त की शादी मे तेरे बाबूजी को,
बुला भेजा था अपने पिताजी को
उनसे कहा था कि वो शादी करेंगी तो केवल तेरे बाबूजी से।

बस फिर क्या था,

तेरी माँ थी बहुत सुदंर
कर दी थी हाँ हमने भी भन के अंदर,
आनन फानन व्याह हुआ अति सुंदर ।

इक वो भी जमाना था....

इक ये भी जमाना है.......

(2013-14)

लड़का बोले महबूबा से,
बहुत हुआ मिलना मिलाना,
आ कर लें शादी,
घर है जो बसाना,
लड़की बोले क्या रखा,
घर बसाने में?

रहते हैं ऐसे ही,
लिविगं रिलेशनशिप में,
हमें नहीं बढ़ाना है
कुनबा अपना
नहीं बढाएगें सिर दर्द अपना।

दोस्तों, एक वो भी जमाना था
इक यह भी जमाना है
हमको तो यहाँ यूं ही आना है
और ऐसे ही जाना है।

//surendrapalsingh//
07 27 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से _ _ _ _

एक वो भी जमाना था.....
आपने अक्सर सुना होगा अपने बुजुर्गों से,
आज की पीढ़ी बडा ताज्जुब करती है 
इस कथनी पर,
वह यह भूल जाती है कि लोग आज के लिए भी तो कहते है कि,
इक ये भी जमाना है।

दोस्तों, फर्क है यह दो और दो से अधिक पीढ़ियों का।

मुझे याद पड़ता है,

मेरे दादी अम्मा ने कभी यह मुझसे कहा था,
तेरे बाबूजी को तेरी माँ ने प्रपोज किया था।
इक वो भी जमाना था....

(1939-40)

मैंने अपनी दादी अम्मा से पूछा,

ये सब कैसे हुआ था,
हँस के बोली कि सुन हुआ था कुछ ऐसे,
तेरी माँ ने देखा था किसी
अपने दोस्त की शादी मे तेरे बाबूजी को,
बुला भेजा था अपने पिताजी को
उनसे कहा था कि वो शादी करेंगी तो केवल तेरे बाबूजी से।

बस फिर क्या था, 

तेरी माँ थी बहुत सुदंर
कर दी थी हाँ हमने भी भन के अंदर,
आनन फानन व्याह हुआ अति सुंदर ।

इक वो भी जमाना था....

इक ये भी जमाना है.......

(2013-14)

लड़का बोले महबूबा से,
बहुत हुआ मिलना मिलाना,
आ कर लें शादी,
घर है जो बसाना,
लड़की बोले क्या रखा,
घर बसाने में?

रहते हैं ऐसे ही,
लिविगं रिलेशनशिप में,
हमें नहीं बढ़ाना है 
कुनबा अपना 
नहीं बढाएगें सिर दर्द अपना।

दोस्तों, एक वो भी जमाना था
इक यह भी जमाना है
हमको तो यहाँ यूं ही आना है
और ऐसे ही जाना है।

//surendrapalsingh//
07 27 2014

 http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Harihar Singh बहतरीन आपने दोनों पीढी की सून्दर ठंग से सटीक मनमोहक चित्रण कियाSee Translation
    15 hours ago · Unlike · 2
  • Ram Saran Singh आदरणीय । यह पीढ़ी का अंतराल है । हमें समय के प्रवाह के साथ बहना है वरना बहुत पीछे छूट जाने का भय रहता है । धन्यवाद ।
    14 hours ago · Unlike · 1
  • Potty Kc Supper.. Sir
    14 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh दो विभिन्न परिवेश की कहानी है आज जो हमको जीनी है। आज भी एक वर्ग है जो पुरानी मान्यताओं में बधां है और एक उनमुक्त जीवन जीने की चाह कर रहा है। इसी भाव को उकेरने की कोशिश की है। आपकी टिप्पणियों से भी इसी धारणा को बल मिला है।
    धन्यवाद मित्रों।
    14 hours ago · Like · 1
  • Kunwar Bahadur Singh reality.ek jamana emotions ka dusra kewal need ka.
    13 hours ago · Unlike · 1
  • BN Pandey MERI TABAAHI KAA VAYAS JAHAA ME KOI NAHI....MUJHE FAREB DIYAA KHUD MERI TAMANNA NE..........
    2 hours ago · Unlike · 1

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर।
    सही कहा आपने दुनिया बदल रही है।

    ReplyDelete
  2. महानुभाव आपने कविता को सराहा, मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

    ReplyDelete
  3. महानुभाव आपने कविता को सराहा, मैं ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

    ReplyDelete