कलम से ____
कल ही की बात है जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली है यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।
कली से फूल खुदारा वो एक दिन बनेगें
कत्ल सरेआम न जाने कितनों का करेगें।
चढती जवानी के आलम की क्या बात क्या करेंगें
सामने बैठ महफिल में गिगाहों से खून हजारों करेंगें।
दिन हरेक के पलटते हैं हमारा भी एक दिन होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।
न जाने फिर कौन सी बात हो जाएगी
मैं उनका औ' वो फिर हमारी हो जांएगी।
गुजारा हमारा यूं ही चलेगा रहबर का साथ हमको मिलेगा
गुजारिश है मेरी खुदा तुझसे निगाहों में करम तेरा रहेगा।
//surendrapal singh//
07 31 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
कल ही की बात है जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली है यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।
कली से फूल खुदारा वो एक दिन बनेगें
कत्ल सरेआम न जाने कितनों का करेगें।
चढती जवानी के आलम की क्या बात क्या करेंगें
सामने बैठ महफिल में गिगाहों से खून हजारों करेंगें।
दिन हरेक के पलटते हैं हमारा भी एक दिन होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।
न जाने फिर कौन सी बात हो जाएगी
मैं उनका औ' वो फिर हमारी हो जांएगी।
गुजारा हमारा यूं ही चलेगा रहबर का साथ हमको मिलेगा
गुजारिश है मेरी खुदा तुझसे निगाहों में करम तेरा रहेगा।
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