कलम से _ _ _ _
आजकल चर्चा आम है,
यह सब लोग बुढा गये है,
आगे की सोचते नहींहै,
गुजरे कल के गीत गाते है ।
यह मै नहीं,
मुझसे नौजवान ऐसा सोचते है,
कहते रहते है,
पिछली पीढ़ी के लोग,
बस लैला-मजनू, हीर-रांझा की मोहब्बतौ की बातें करते है,
आज के वक्त मे,
क्या कोई कर पाऐगा,
इतना समय जाया कर पाऐगा,
क्या हँस पाऐगा कया रो पाऐगा,
सूचना तकनीक के जमाने मे,
हम नेट पर चैट कर,
अपनी कह लेते है,
उनकी सुनते है,
कभी दिल रोता है,
तो आँसू भी बहा लेते है ।
अपुन की दुनियाँ बस यही है,
जिंदगी नेट मे सिमट गयी है।
हम खुश है इस जमाने से,
आप खुश रहें अपने जमाने से,
तनहाइयाँ मिटाने की,
जरूरत नहीं रह गयी,
अब न दीजे नसीहत,
महफिल सजाने की,
अब हमारी खुशी औ' गम,
जो भी है वो हमारे है,
कया करना है,
हमको इस जमाने से ।
//surendrapalsingh//
07252014
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