कलम से _ _ _ _
अपना गम तो
भारी लगता है,
किसी और का गम,
गम नहीं लगता है,
खुशी कैसी भी हो जैसी भी हो किसी की हो,
मन को बडी अच्छी लगती है ।
वक्त खराब, गुजारे गुजरता नहीं है,
अच्छा वक्त, कैसे कट जाता है
पता ही नहीं लगता है ।
ऊपरवाला हमेशा,
ऐ जताने की कोशिश करता है कि अच्छा बुरा कुछ नही वक्त,
किसी और का गम,
गम नहीं लगता है,
खुशी कैसी भी हो जैसी भी हो किसी की हो,
मन को बडी अच्छी लगती है ।
वक्त खराब, गुजारे गुजरता नहीं है,
अच्छा वक्त, कैसे कट जाता है
पता ही नहीं लगता है ।
ऊपरवाला हमेशा,
ऐ जताने की कोशिश करता है कि अच्छा बुरा कुछ नही वक्त,
वक्त ही होता
है जो हर पल गुजरता है।
काश हम वक्त को,
अपनी मुठठी मे कर पाते तो कितनाअच्छा होता,
कैसे बनती ऐ कहावत,
कि वक्त को भी भला कोई,
मुठठी मे पकड़ पाया है?
काश हम वक्त को,
अपनी मुठठी मे कर पाते तो कितनाअच्छा होता,
कैसे बनती ऐ कहावत,
कि वक्त को भी भला कोई,
मुठठी मे पकड़ पाया है?
//surendrapalsingh//
07252014
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