कलम से _ _ _ _
मन बहुत करता है ____
घर से निकल बाहर जाने को ।
मन बहुत करता है ____
बचपन में लौट जाने को।
मन बहुत करता है ____
पंक्षी बन आकाश में उडने को।
मन बहुत करता है ____
चांद तारों से खेलने को।
मन बहुत करता है ____
बादलों सा बरसने को।
मन बहुत करता है ____
तनहाई में उनसे मिलने को।
मन बहुत करता है ____
गेसुओं से खेलने को।
मन बहुत करता है ____
फूल एक गेशूओं में टांकने को।
मन बहुत करता है ____
रूठे हुओं को मनाने को।
मन बहुत करता है ____
रोते हुए को हंसाने को।
मन बहुत करता है ____
दूर बहुत दूर चले जाने को।
मन बहुत करता है ____
//surendrapal singh//
07262014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
मन बहुत करता है ____
घर से निकल बाहर जाने को ।
मन बहुत करता है ____
बचपन में लौट जाने को।
मन बहुत करता है ____
पंक्षी बन आकाश में उडने को।
मन बहुत करता है ____
चांद तारों से खेलने को।
मन बहुत करता है ____
बादलों सा बरसने को।
मन बहुत करता है ____
तनहाई में उनसे मिलने को।
मन बहुत करता है ____
गेसुओं से खेलने को।
मन बहुत करता है ____
फूल एक गेशूओं में टांकने को।
मन बहुत करता है ____
रूठे हुओं को मनाने को।
मन बहुत करता है ____
रोते हुए को हंसाने को।
मन बहुत करता है ____
दूर बहुत दूर चले जाने को।
मन बहुत करता है ____
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मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे
ReplyDeleteजैसे उड़ी जहाज को पंछी,पुनि जहाज पर आवे. जैसी बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपने सही कैच किया। मन में यही भाव पनपा था जब यह रचना गाढी गई।
Deleteह्रदय से आभार।