Tuesday, July 29, 2014

हर शाख पर कली एक खिल रही है देख कर उन्हें मेरी तबीयत मचल रही है।

कलम से____

बागवां की मेहनत रंग ला रही है
बाग में बहार फिर से आ रही है।

हर शाख पर कली एक खिल रही है
देख कर उन्हें मेरी तबीयत मचल रही है।

चम्पा चमेली मोंगरा महक रहा है
गुलाब की कली अभी बस खिल रही है।

तोड लूं इस कली को किसी के लिए
आशिकी मन भीतर की बोल रही है।

कली तोड आज एक मैं गुनाह न कँरूगा
फूल न बन जाये तब तक इतंजार कँरूगा।

कली गुलाब की हो या फूल दोनों सजेंगे
जब मैं उन्हें देकर पूछूँगा कि ये कंहा लगेंगे।

झट मुँह से उनके यूं निकल जायेगा
जहां तू चाहेगा यह फूल वहां सज जायेगा।

फूल की किस्मत तो देखिए गेसुओं में उनके टंक गया
फूल एक किसी को भा गया जो मैयत पर चढ गया।

//surendrapalsingh//
07 30 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/

Photo: कलम से____

तुरंत लिखी है आपके लिए...........

बागवां की मेहनत रंग ला रही है
बाग में बहार फिर से आ रही है।

हर शाख पर कली एक खिल रही है
देख कर उन्हें मेरी तबीयत मचल रही है।

चम्पा चमेली मोंगरा महक रहा है
गुलाब की कली अभी बस खिल रही है।

तोड लूं इस कली को किसी के लिए
आशिकी मन भीतर की बोल रही है।

कली तोड आज एक मैं गुनाह न कँरूगा
फूल न बन जाये तब तक इतंजार कँरूगा।

कली गुलाब की हो या फूल दोनों सजेंगे
जब मैं उन्हें देकर पूछूँगा कि ये कंहा लगेंगे।

झट मुँह से उनके यूं निकल जायेगा
जहां तू चाहेगा यह फूल वहां सज जायेगा।

फूल की किस्मत तो देखिए गेसुओं में उनके टंक गया
फूल एक किसी को भा गया जो मैयत पर चढ गया।

//surendrapalsingh//
07 30 2014

 http://1945spsingh.blogspot.in/

and

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