Wednesday, July 30, 2014

प्रश्न उठ खडे हुए हैं?

07 31 2014


इधर हाल के दिनों में हुई कुछ घटनाओं ने जिनमें मुजफ्फरपुर, मुरादाबाद,रामपुर और अब सहारनपुर प्रमुख हैं कई ज्वलंत प्रश्न पैदा कर दिये हैं। समाधान कोई नजर नहीं आता। नजर भी इन प्रश्नों से हटाई भी नहीं जाती। मन कुंठित है।

प्रश्न उठ खडे हुए हैं
जबाब जिनका मिल नहीं रहा है
ढूढां बहुत किया
रात भर भटकता रहा हूँ
कभी यहाँ
कभी वहाँ
कभी भीतर
कभी बाहर
मैं टहलता रहा
जबाब न मिला कहीं से
तो मैं तेरे सामने आ गया
बता ये मारपीट क्यों है
मचा घमासान क्यों है
यह घर भी तेरा है
वह घर भो तेरा है
मैं भी तेरा हूँ
वह भी तेरा है......

सुन मेरे बच्चे
वो मेरा है औ' तू भी मेरा है
बस छा गया है इनकी आँखों में
गहरा अंधेरा है।

जब आएगें दोनों यहां
बैठेंगे मन शातं यहां
जान जाएंगे खुदा बंदे
भगवान को चाहने वाले
गुरू को पूजने वाले
रूप एक है
जो सिर्फ मेरा अकेला है।

मैं हूँ सिर्फ मैं हूँ
मैं सबका हूँ
सबके लिए हूँ
मैं गरीब का हूँ
मै अमीर का हूँ
मैं बच्चों का हूँ
मै बडों का हूँ
मैं बलवान का हूँ
मैं असहाय का हूँ
मै अबला का हूँ
मै सबला का हूँ
मैं मैं हूँ
रूप कई हैं पर हर किसी को दिखता हूँ
मैं ही उनके दिल में बसता हूँ.............

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