कलम से _ _ _ _
जीवन की शुरूआत
आजकल
भाग दौड़ से होती है
जिंदगी
चक्की में बेबजह पिसती है।
निभा रहा हूं बहुत
टूटते रिश्ते
मेरी जिंदगी के हैं
कुछ अजीब किस्से ।
चाहा बहुत साफगोई
से गुजरे
नहीं गुजरने दी है
मोहब्बत से भरी
फूलों सी महकती
खिलखिलाहट से भरी
मेरी जिंदगी।
परवाह बहुत है मुझे
करेगी क्या तू
जब नहीं रहूँगा मैं।
मैं कया हूं
तुम्हारे लिऐ
अहसास करोगी
जब नहीं रहूँगा मैं।
आ जाओ आज भी
बाँहों में मेरी
एक बार देख लोगी
भरी निगाह से मुझे
भूल जाऊँगा
अबतलक जो हुआ
फिर से शुरूआत
करूँगा तेरे साथ
जिंदगी।
फिर से करूँगा शुरूआत
जिंदगी-----
आजकल
भाग दौड़ से होती है
जिंदगी
चक्की में बेबजह पिसती है।
निभा रहा हूं बहुत
टूटते रिश्ते
मेरी जिंदगी के हैं
कुछ अजीब किस्से ।
चाहा बहुत साफगोई
से गुजरे
नहीं गुजरने दी है
मोहब्बत से भरी
फूलों सी महकती
खिलखिलाहट से भरी
मेरी जिंदगी।
परवाह बहुत है मुझे
करेगी क्या तू
जब नहीं रहूँगा मैं।
मैं कया हूं
तुम्हारे लिऐ
अहसास करोगी
जब नहीं रहूँगा मैं।
आ जाओ आज भी
बाँहों में मेरी
एक बार देख लोगी
भरी निगाह से मुझे
भूल जाऊँगा
अबतलक जो हुआ
फिर से शुरूआत
करूँगा तेरे साथ
जिंदगी।
फिर से करूँगा शुरूआत
जिंदगी-----
//surendrapalsingh//
07252014
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