Wednesday, July 23, 2014

बस तुम अच्छे लगते हो अब क्यों लगते हो क्या बोलूँ !

कलम से _ _ _ _
बस तुम अच्छे लगते हो अब क्यों लगते हो क्या बोलूँ
मेरे भीतर रहते हो अब क्यों रहते हो क्या बोलूँ

वक्त मिले तो तुम सोचो कि क्या लगता हूँ मै तेरा
तुम तो मेरे लगते हो अब क्यों लगते हो क्या बोलूँ

कैसे दूर करोगे मुझको जबकि मेरे अन्दर तुम
हरदम चलते रहते हो अब क्यों चलते हो क्या बोलूँ

जैसे तुमको देखूं वैसे और किसी को देखूं तो
साथी तुम भी जलते हो अब क्यों जलते हो क्या बोलूँ

मना करूं कि मत काटो नाखून दांत से ए भावुक
फिर भी ऐसा करते हो अब क्यों करते हो क्या बोलूँ


//surendrapalsingh//

07242014

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